भारत में कार का एक्सीडेंट होने पर इंश्योरेंस क्लेम कैसे करें? | How to claim Car insurance in india
कार बीमा न केवल आपको दुर्घटना के मामले में वित्तीय नुकसान से बचाता है, बल्कि चोट या क्षति के लिए मुआवजा पाने में भी मदद करता है। बीमा आपके वाहन से किसी अन्य व्यक्ति, वाहन या संपत्ति को हुए नुकसान को भी कवर करता है। वाहन की चोरी या नष्ट होने की स्थिति में, बीमा कंपनी आपको वाहन की कुल लागत की प्रतिपूर्ति करती है। लेकिन, इन सभी चीजों को पाने के लिए दो चीजों का होना जरूरी है जो आप जानते हैं कि कार बीमा का भुगतान कैसे करना है। इस लेख में, हम सीखेंगे कि कार दुर्घटना बीमा के लिए भुगतान कैसे करें। दुर्घटना के बाद कार बीमा के लिए आवेदन कैसे करें? इसके अलावा, हमने अपने लेख में अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानकारी शामिल की है जो आपको बीमा पॉलिसी का उत्तर देते समय ध्यान में रखनी चाहिए।
गाड़ी को इंश्योरेंस की आवश्यकता क्यों होती है?
सबसे पहले, आइए जानते हैं कि कार को बीमा की आवश्यकता क्यों है, वह है उसका बीमा। यह सर्वविदित है कि बीमा व्यक्ति की कार को किसी भी दुर्घटना से होने वाले नुकसान से बचाता है, अर्थात यदि कोई दुर्घटना होती है और बीमाधारक की कार को नुकसान पहुंचता है, तो इसमें शामिल बीमा कंपनी बिल का भुगतान करती है।
भारत में कार का बीमा क्लेम करने पर आपको क्या-क्या फायदे मिलते हैं? What benefits you get on claiming Car insurance in india?
यह वास्तव में इस बात पर निर्भर करता है कि आपने अपनी कार का बीमा किस तरह का करवाया है। जैसे कि-
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- सिर्फ थर्ड पार्टी इंश्योरेंस है तो बीमा कंपनी केवल वाहन, संपत्ति या दूसरों को चोट के नुकसान की भरपाई करती है। अगर आप खुद को चोटिल करते हैं तो आपको मुआवजा भी मिलेगा क्योंकि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस पर 15 लाख रुपये तक का पर्सनल एक्सीडेंट कवर जोड़ा जाता है। हालांकि, आपके अपने वाहन को होने वाले नुकसान को कवर नहीं किया जाता है, क्योंकि व्यक्तिगत चोट बीमा में देयता बीमा शामिल नहीं है: देयता बीमा क्या है? मूल्य क्या है?
- कंप्रीहेंसिव इंश्योरेंस है तो फिर बीमा कंपनी आपकी खुद की कार के नुकसान का भुगतान भी करती है। चोट लगने की स्थिति में आप 15 लाख तक का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा भी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही बीमा कंपनी कार, संपत्ति या दूसरों के शरीर को हुए नुकसान की भरपाई भी करती है। क्योंकि व्यापक कवरेज में देयता कवरेज और व्यक्तिगत चोट कवरेज दोनों शामिल हैं। और जानें: व्यापक कार बीमा क्या है? मूल्य क्या है?
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- एडऑन इंश्योरेंस जुड़वाये हैं तो: ये आपको अपने मौजूदा बीमा या कुछ बुनियादी बीमा पॉलिसियों से कटौती से बचने के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान करते हैं। आपने जिस प्रकार का अतिरिक्त बीमा अलग से जोड़ा होगा, आपको मूल बीमा राशि के अतिरिक्त एक सब्सिडी मिलेगी। विस्तार से जानने के लिए कि ये समर्थन कवर क्या हैं और वे कैसे लाभ प्रदान करते हैं, हमारा लेख देखें: समर्थन कवर क्या है? वे कितने उपयोगी हैं?
भारत में कार का एक्सीडेंट होने पर इंश्योरेंस क्लेम कैसे करें? | How to claim Car insurance
यदि आपके पास व्यापक कार बीमा है, तो आपको देयता कवरेज के साथ-साथ क्षति कवरेज भी मिलेगा। इस तरह दुर्घटना में कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त या चोरी हो जाने पर भी आपको मुआवजा मिलेगा। सबसे पहले हम दुर्घटना के दौरान कार के क्षतिग्रस्त होने या कार के पूरी तरह से नष्ट हो जाने की स्थिति में बीमा की प्रक्रिया बताते हैं-
स्टेप1: घटना की फोटो, गवाह व अन्य सबूत इकट्ठा करें
- Accident होने पर, सबसे पहले आपको उसके सबूत (Proof) इकट्ठा करने हैं। कार को हुए नुकसान के फोटो खींच लेने चाहिए। घटना स्थल के भी फोटाे ले लेने चाहिए। Video Recording कर सकते हैं तो वो ले लीजिए।
- आपकी कार से टकराने वाले वाहन और उसके Driver का Detail ले लीजिए। गाड़ी नंबर केे साथ साथ चलाने वाले का नाम नाम, पता, Mobile Number वगैरह नोट कर लें।
- अगर आपको Accident के कुछ प्रत्यक्ष गवाह (witnesses) मिल जाएं तो और अच्छा है। उनके नाम और पता भी नोट करके रख लें। घटना के सही कारणों को पुष्ट करने में इनकी जरूरत पड सकती है।
- Accident में आपको चोट लगी है तो उसे भी record कर लें। चोट ज्यादा लगी है तो आसपास के Hospital का पता करें और इलाज करवाएं। चोट किस तरह की है, उसके बारे में डॉक्टर से पूछकर नोट कर लें।
Step 2: पुलिस को सूचना दें और FIR दर्ज कराएं
घटनास्थल के आसपास कोई पुलिसकर्मी मौजूद हो तो Report भी दर्ज करवा दें। उसका केस नंबर भी लेकर रख लें। ध्यान रखें, चाहे Third Party Insurance का मामला हो या own damage (खुद की कार को नुकसान) का मामला हो, हादसे की रिपोर्ट पुलिस में होनी ही चाहिए। car insurance claim करने में यह रिपोर्ट भी लगानी होगी।
छोटे-मोटे accident में, जिनमें आपकी कार में हल्की फुल्की टूट-फूट हुई हो FIR से बचा जाना चाहिए। किसी को शारीरिक रूप से ज्यादा चोट पहुंचने पर या मौत होने पर FIR करना जरूरी है। अगर आपकी कार चोरी हो गई तो भी तुरंत उसकी FIR करवाएं। FIR की copy लेकर सुरक्षित रखें।
Step 3. बीमा कंपनी को हादसे के बारे में सूचित करें
हादसा होने पर, जितना जल्दी हो सके अपनी Insurance Company को उसके बारे में सूचना दे दी जानी चाहिए। यहां तक कि अपने वाहन को Garage या Service Center पर ले जाने के पहले ही Insurance Company को सूचना दे देनी चाहिए। सूचना देने के लिए आप insurance company के Toll Free number पर कॉल कर सकते हैंं।
हादसे के 7 दिन के भीतर आपको insurance company के पास सूचना दे दी जानी चाहिए। लेकिन, कुछ कंपनियां इससे कम समय का नियम भी रखती हैं। बहुत सी कंपनियां तो 24 से 48 घंटे में घटना की सूचना देने और Claim करने का नियम रखती हैं।
Step 4. कार को हुए नुकसान का आकलन करवाएं
जैसे ही आप Insurance company को इसके बारे में सूचना देते हैं, उनकी तरफ से निरीक्षण (inspection) का कोई टाइम निर्धारित किया जाता है। उस टाइम पर insurance Company का कोई प्रतिनिधि (Representative/ Surveyor) आएगा और आपकी कार को हुए नुकसान का आकलन (Estimation) करेगा।
आपको कंपनी के अनुबंध में शामिल नजदीकी Garage या service center की भी जानकारी दी जाएगी। आपकी कार को खिंचवाकर या उठवाकर ले जाने की व्यवस्था करेंगे। खुद अपनी कार को खिंचवाकर ले जाने की जरूरत नहीं है। आपका Claim मंजूर होने के बाद ही उसकी Repairing शुरू की जानी चाहिए।
गैराज में अपनी कार का निरीक्षण करवाकर नुकसान का आकलन (estimate) करवा लीजिए। बीमा कंपनी को कार की मरम्मत का estimate भी देना पडता है। हादसे के कारण, आपको जो भी खर्च करना पड़ा है, उसको नोट कर लें। बीमा कंपनी का प्रतिनिधि, आपसे Insurance Claim संबंधी आवश्यक दस्तावेज लेगा और अपनी रिपोर्ट के साथ कंपनी को भेज देगा।
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Step 5: दस्तावेजों के साथ बीमा कंपनी को भेजें क्लेम
अब बारी है, अपने नुकसान के लिए बीमा कंपनी के पास क्लेम भेजने की। नीचे बताए गए दस्तावेजोें (Documents) के साथ आप अपना क्लेम कर सकते हैं-
- पुलिस के पास दर्ज कराई गई रिपोर्ट (FIR) की कॉपी
- आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी की कॉपी
- शारीरिक नुकसान हुआ है तो मेडिकल रसीद
- अपनी कार का जिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC)
- घटना के वक्त गाडी चलाने वाले का ड्राइविंग लाइसेंस
- ठीक से भरा हुआ कार इंश्योरेंस क्लेम फाॅर्म
- कार की रिपेयरिंग में खर्च का एस्टीमेट या रसीद
Step 6. बीमा कंपनी की ओर से आपके क्लेम का निपटारा
बीमा कंपनी 10 से 15 दिन का टाइम Claim process पूरी करने के लिए लेगी। आपके केस की गंभीरता और क्लेम की मात्रा के हिसाब से time लगेगा। घटना की प्रकृति और दायरे के हिसाब से, इंश्योरेंस कंपनी आपको cashless claim या reimbursement type के भुगतान का विकल्प दे सकती हैं।
कार इंश्योरेंस क्लेम लेना है तो इन बातों का ख्याल रखें –Keep these things in mind if you want to take a car insurance claim
यदि आप कार हादसा होने की स्थिति में इंश्योरेंस क्लेम लेना चाहते हैं, तो निम्न बातों का ध्यान रखें-
घटनास्थल से वाहन को न हटाएं, न भागने की कोशिश न करें-
कई लोग कार से कोई हादसा हो जाने की स्थिति में घबराहट के मारे घटनास्थल से भागने की कोशिश करते हैं तो कई लोग अपने वाहन को यहां से हटा देते हैं।
इंश्योरेंस क्लेम चाहिए तो इन दोनों ही चीजों से बचना चाहिए। इससे क्लेम कमजोर पड़ सकता है। यहां तक कि बीमा कंपनी क्लेम देने से इंकार तक कर सकती है।
हादसा होने पर गाड़ी को स्वयं रिपेयर न करें
गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में उसे स्वयं रिपेयर न करने लगें। गैरेज अथवा सर्विस सेंटर पर उसे तभी ले जाएं, जब इंश्योरेंस कंपनी की ओर से इस संबंध में स्वीकृति मिल जाए।
गलत तथ्य प्रस्तुत न करें
कभी भी घटना को लेकर गलत तथ्य प्रस्तुत करने की कोशिश न करें। क्योंकि क्लेम से पूर्व इंश्योरेंस कंपनियां नुकसान का आंकलन अपने सर्वेयर से कराती हैं। ऐसे में कोई भी झूठ साबित होने पर बीमा कंपनी क्लेम से इन्कार कर सकती है।
पालिसी के नियम व शर्तों को देख लें
इंश्योरेंस क्लेम करने से पूर्व अपनी इंश्योरेंस कंपनी की ओर से क्लेम के वक्त दी जाने वाली सुविधाओं पर गौर करें। इसके बाद ही इंश्योरेंस क्लेम करें।
सबसे बड़ी बात यह ध्यान रखें कि इंश्योरेंस पालिसी को एक्सपायर होने से पूर्व उसे रिन्यू करा लें। अन्यथा आप इंश्योरेंस क्लेम कर ही नहीं सकेंगे।
बीमा कंपनी की ओर से तय क्लेम राशि पर जल्दी में साइन न करें
बीमा कंपनी ने आपके नुकसान को देखते हुए जो क्लेम राशि तय की है, उस पर जल्दी में हस्ताक्षर न करें। यदि आपको यह राशि कम लगती है तो इसे बढ़ाने का अनुरोध करें। यदि आप इस क्लेम से संतुष्ट नहीं तो ट्रिब्यूनल में अधिक क्लेम के लिए दावा कर सकते हैं।
कार इंश्योरेंस की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
किसी भी कार एक्सीडेंट की स्थिति में गाड़ी मालिक को बीमा कंपनी से आर्थिक क्षतिपूर्ति के नजरिए से इंश्योरेंस की आवश्यकता पड़ती है।
कार इंश्योरेंस क्लेम साधारणतः कितने प्रकार का होता है?
कार इंश्योरेंस दो प्रकार का होता है-कैशलेस क्लेम एवं रीइंबर्समेंट क्लेम।
कैशलेस एवं रीइंबर्समेंट क्लेम में क्या अंतर है?
कैशलेस इंश्योरेंस में आपकी गाड़ी की मरम्मत के लिए पहले आपको किसी खर्च की आवश्यकता नहीं होती। रीइंबर्समेंट की स्थिति में पहले आप स्वयं मरम्मत का भुगतान करते हैं, जिसके बिल बीमा कंपनी रीइंबर्स करती है।
यदि आप क्लेम फार्म में कोई ग़लत जानकारी भरते हैं तो क्या होता है?
यदि आप क्लेम फार्म में गलत जानकारी भरते हैं तो बीमा कंपनी क्लेम देने से मना कर सकती है।
यदि आप क्लेम से संतुष्ट नहीं तो क्या करें?
यदि आप बीमा कंपनी द्वारा दिए जा रहे क्लेम से संतुष्ट नहीं तो मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में केस फाइल कर सकते हैं।
हमने आपको इस पोस्ट में कार हादसा होने पर इंश्योरेंस क्लेम करने संबंधी जानकारी दी। आज की तारीख में बहुत से लोग इसकी प्रक्रिया नहीं जानते। उम्मीद है कि इस पोस्ट से ऐसे लोग बड़ी संख्या में लाभान्वित होंगे। आप जनहित में इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करना न भूलें।
धन्यवाद।